NEP में खत्म हो जाएंगे आरक्षण के नियम? शिक्षा मंत्री ने दिया जवाब
कुछ दिन पहले भेजी इस चिट्ठी में सीताराम येचुरी ने सवाल किया था कि ‘नई शिक्षा नीति में एडमिशन्स या टीचिंग व नॉन-टीचिंग भर्तियों में आरक्षण नीतियों का कोई जिक्र नहीं किया गया है। क्या सरकार 2020 के जरिए एससी, एसटी, ओबीसी व दिव्यांग आरक्षण खत्म करना चाहती है?’
शिक्षा मंत्री का जवाब
अब केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक (Dr Ramesh Pokhriyal Nishank) ने एक पत्र के जरिए येचुरी के सवाल का जवाब दिया है। इसमें कहा गया है कि –
‘नई शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी मिलने के बाद से जेईई (JEE), नीट (NEET), यूजीसी नेट (UGC NET), इग्नू (IGNOU) जैसी कई परीक्षाएं आयोजित की जा चुकी हैं। कई शैक्षणिक संस्थानों में भर्ती प्रक्रियाएं भी हुईं। लेकिन हमें कहीं से भी आरक्षण नियमों के भंग होने की कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। ऐसे में एनईपी की घोषणा के 4-5 महीने बाद बिना किसी तथ्य के इस तरह का सवाल उठाने का मतलब समझ से परे है।’
‘मैं दोहराना चाहूंगा कि एससी, एसटी, ओबीसी, दिव्यांग व अन्य सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े समूहों को शिक्षा से जोड़ने के लिए जो भी सफल नीतियां व कार्यक्रम चल रहे हैं, वे जारी रहेंगे। मैं यह बात बिल्कुल साफ करना चाहूंगा कि इस संबंध में किसी भी तरह की शिकायत मिलने पर मेरा मंत्रालय हर उचित कार्यवाई करेगा।’
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में बनाया है नया क्लस्टर
शिक्षा मंत्री ने पत्र में आगे लिखा है कि ‘आरक्षण खत्म करने के दावों के विपरीत नई शिक्षा नीति पिछड़े वर्गों को शिक्षा से जोड़ने पर विशेष जोर देती है। इसके लिए एनईपी के तहत एक क्लस्टर बनाया गया है, जिसका नाम है – सोशियो-इकोनॉमिक डिप्राइव्ड ग्रुप्स (SEDG)।’
‘इसके तहत शिक्षा के मामले में हाशिए पर खड़े स्पेशल एजुकशनल जोन्स की पहचान की जाएगी। वहां पिछड़े समुदायों को शिक्षा से जोड़ने के लिए वर्तमान के साथ-साथ नई मुहिम व स्कीम्स चलाई जाएंगी।’
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लिंगभेद खत्म करने पर जोर
नई शिक्षा नीति में जेंडर-आई इन्क्लूजन फंड (Gender-I inclusion fund) का भी प्रावधान किया गया है। इसके अंतर्गत लिंग के आधार पर पिछड़े सोशव व बायोलॉजिकल ग्रुप्स की मदद के लिए स्कीम्स शुरू की जाएंगी। अप्लसंख्यक स्कूल व कॉलेज खोलने को बढ़ावा दिया जाएगा।
(पीटीआई से इनपुट के साथ)