पहले सिविल सर्विस में जाना चाहती थी परीक्षा में सेकंड टॉपर रही आकांक्षा सिंह, बाद में डॉक्टर बनने का सपना लिए कुशीनगर से पहुंची दिल्ली
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने शनिवार को NEET 2020 का रिजल्ट जारी कर दिया है। इस साल परीक्षा में एक नहीं बल्कि दो कैंडीडेट्स ऐसे हैं, जिन्होंने परीक्षा में 100 अंक हासिल किए हैं। उड़ीसा के शोएब आफताब ने AIR 1 हासिल किया है। जबकि दिल्ली की आकांक्षा सिंह ने भी 720 में से 720 अंक हासिल किए हैं, लेकिन उनकी ऑल इंडिया रैंक 2 रही। हालांकि, लड़कियों के बीच वह पहली टॉपर बन गई हैं। दरअसल, टाई ब्रेकर पॉलिसी के कारण उन्हें दूसरी रैंक हासिल की है।
70 किलोमीटर तक का सफर साइकिल से किया तय
आकांक्षा सिंह की यह सफलता पूर्वांचल की कई लड़कियों के लिए प्रेरणा बन गई है। वह ग्रामीण पूर्वांचल की पहली ऐसी लड़की है,जिसने देश की प्रतिष्ठित परीक्षा में में न सिर्फ सफलता पाई है, बल्कि फुल मार्क्स हासिल कर इतिहास रच दिया है। हालांकि, इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्होंने इसके लिए कड़ी मे मेहनत की। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक डॉक्टर बनने के लिए आकांक्षा ने कुशीनगर से गोरखपुर के अपने गांव तक 70 किलोमीटर तक का सफर साइकिल से तय किया। यहां 9वीं-10वीं की पढ़ाई करने के बाद 11वीं-12वीं के लिए दिल्ली आकर एक कोचिंग शाखा से एडमिशन लिया।
सिविल सर्विस में जाने का था सपना
आठवीं कक्षा तक आकांक्षा का सपना सिविल सर्विस में जाने का था। लेकिन, 9वीं में आते ही उन्होंने डॉक्टर बनने के लिए नीट परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। उन्होंने इस परिणाम को सभी बाधाओं से लड़ते हुए प्राप्त किया है। बचपन के अपने सपने को पूरा करने के लिए आकांक्षा कुशीनगर से निकलकर गोरखपुर और बाद में दिल्ली तक गईं और दिन-रात कड़ी मेहनत से तैयारी की। आकांक्षा के पिता भारतीय वायुसेना के रिटायर्ड सार्जेंट हैं, जबकि उनकी मां रुचि सिंह गांव में ही प्राथमिक स्कूल की टीचर हैं। अपनी बेटी की इस कामयाबी पर दोनों ही बेहद खुश हैं।