बिहार: कब आएगा मैट्रिक रिजल्ट? जानिए नई डेट
देरी की मुख्य वजह रिजल्ट में देरी की मुख्य वजह टॉपरों को वेरिफाई करने में हुई मुश्किल को बताया जा रहा है। इस पूरे मामले को यहां समझिए। वर्ष 2016 और 2017 में बिहार में टॉपर घोटाला सामने आया था। टॉपर घोटाले की वजह से बिहार बोर्ड की काफी किरकिरी हुई थी। इस तरह की फजीहत से बचने के लिए बिहार बोर्ड ने मूल्यांकन की तीन स्तरीय प्रणाली को अपनाया। इस प्रणाली का पहला चरण तो आम चरण है यानी सभी छात्रों की आंसरशीट या उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन होता है। जब सारी कॉपियों का मूल्यांकन हो जाता है तो उन छात्रों की कॉपियों को अलग कर लिया जाता है जिनके सबसे ज्यादा नंबर आए हैं। करीब 100 ऐसे छात्रों की कॉपियों को अलग कर लिया जाता है। फिर उन कॉपियों का दोबारा मूल्यांकन किया जाता है। उनके मूल्यांकन के लिए प्रत्येक विषय के विशेषज्ञों की एक कमिटी का गठन किया जाता है। यहां से मामला क्लियर होने के बाद सबसे ज्यादा नंबर लाने वाले छात्रों या टॉपरों का फिजिकल वेरिफिकेशन या इंटरव्यू होता है। इंटरव्यू भी विशेषज्ञों की एक कमिटी लेती है। इस पूरी कवायद का मकसद यह आश्वस्त करना होता है कि छात्रों ने अपने दम पर ही नंबर हासिल किया है, किसी तरह का फर्जीवाड़ा नहीं किया है।
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आखिर कब आएगा रिजल्ट?इस साल के रिजल्ट की बात करें तो बोर्ड से मिली जानकारी के मुताबिक, कॉपियों के मूल्यांकन का दूसरा चरण पूरा हो गया है। टॉपरों को वेरिफाई करने में थोड़ी मुश्किल हुई है यानी मूल्यांकन प्रक्रिया के तीसरे चरण में कुछ दिक्कत की वजह से रिजल्ट अभी नहीं आ सका है। उम्मीद है कि इस चरण को भी 2-3 दिन में सफलतापूर्वक पूरा कर लिया जाएगा और सोमवार तक रिजल्ट जारी कर दिया जाएगा।
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क्या था बिहार का टॉपर घोटाला?2016 में बिहार में टॉपर घोटाला सामने आया था। 12वीं क्लास में आर्ट्स टॉपर रुबी राय, साइंस टॉपर सौरभ श्रेष्ठ और साइंस में थर्ड टॉपर राहुल कुमार बने थे। जब पत्रकारों ने उनका इंटरव्यू लेना शुरू किया तो राज्य में बहुत बड़ा टॉपर घोटाला सामने आया। टॉपरों में से कोई भी मामूली सवालों के भी जवाब नहीं दे पाया। रुबी राय से जब पॉलिटिकल साइंस बोलने को कहा गया तो उन्होंने उसे ‘प्रोडिगल साइंस’ बताया और कहा कि इसका खाना-पकाना से संबंध है। साइंस टॉपर सौरभ श्रेष्ठ को इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन के बारे में ही पता नहीं था। फिर 2017 में आर्ट्स टॉपर बने गणेश कुमार। गणेश कुमार ने एक तो अपनी उम्र छिपाई थी। दूसरा उनको संगीत के बारे में सही से जानकारी नहीं थी जबकि उनको उस विषय में 70 में से 65 नंबर मिले थे।
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फरवरी में हुई थी परीक्षाबिहार बोर्ड 10वीं क्लास का एग्जाम 17 से 24 फरवरी तक हुआ था। करीब 15 लाख विद्यार्थियों ने बिहार बोर्ड की 10वीं क्लास की परीक्षा दी थी। कॉपियों के मूल्यांकन की प्रक्रिया कोरोनावायरस संक्रमण की वजह से हुए लॉकडाउन को देखते हुए टाल दी गई थी। कॉपियों के मूल्यांकन का काम 6 मई से दोबारा शुरू हुआ और पिछले हफ्ते समाप्त हुआ। पिछले साल बिहार बोर्ड 10वीं क्लास का पास पर्सेंटज 80.73 फीसदी था।
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