पिछले 5 वर्षों में आईआईटी में ड्रॉपआउट रेट घटा, पटना में इस बार बीटेक में सिर्फ 2 ने पढ़ाई छोड़ी
पटना. (गिरिजेश कुमार) इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) में पिछले 5 वर्षाें में ड्रॉपआउट रेट में काफी कमी आई है। आईआईटी पटना में सत्र 2019-20 में बीटेक में सिर्फ 2 छात्र ड्रॉपआउट हुए हैं। वहीं एमएससी कोर्स में भी सिर्फ 2 छात्र ड्रॉपआउट हुए हैं। राष्ट्रीय स्तर पर भी आईआईटी में ड्रॉपआउट रेट कम हुआ है। 2015-16 में जहां यह 2.25% था, वहीं सत्र 2019-20 में यह घटकर 0.68% पर पहुंच गया। यानी 70 प्रतिशत तक की कमी आई है। इस सत्र में 910 छात्र ही सभी आईआईटी को मिलाकर ड्रॉपआउट हुए हैं। वर्ष 2017 से 2019 के बीच आईआईटी पटना से सभी कोर्सों को मिलाकर 92 छात्र-छात्राएं ड्रॉपआउट हुए थे। जबकि सभी आईआईटी को मिलकर 2400 छात्र ड्रॉपआउट हुए थे। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार पिछले 5 साल में आईआईटीज में ड्रॉप आउट रोकने के लिए कई कदम उठाए गए हैं, इसी के परिणाम स्वरूप यह कमी आई है।
पहले साल में ही कमजोर की पहचान
आईआईटी पटना में एसोसिएट डीन डॉ. सुब्रत कुमार ने बताया कि यहां पीयर ग्रुप, मेंटर्स और फैकल्टी मेम्बर्स छात्र-छात्राओं की देखभाल करते हैं। कमजोर छात्रों की पहचान उनके पहले साल के अंत में ही कर ली जाती है, साथ ही उन्हें प्रोग्राम को धीमी गति से करने की सलाह दी जाती है। ताकि वे चीजों काे तरीके से समझ पाएं। उन्होंने कहा कि छात्रों को जो फैकल्टी एडवाइजर आवंटित किए जाते हैं, वे छात्रों की प्रगति और परफॉर्मेंस को ट्रैक करने में काफी कुशल होते हैं। प्रत्येक छात्र का ध्यान रखा जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे पास आईआईटी में लाइफ के लिए नए छात्रों को तैयार करने के लिए प्रारंभिक लेकिन कठोर इंडक्शन कार्यक्रम होता है।
छात्रों को अंग्रेजी सिखाने के लिए है लैंग्वेज लैब
आईआईटीज में ड्रॉप आउट्स की सबसे बड़ी समस्या अंग्रेजी की होती थी। छात्रों को अंग्रेजी के कारण काफी दिक्क्तें होती थी। आईआईटी पटना में प्रोफेसर इंचार्ज पब्लिक रिलेशन डॉ. मेघना दत्ता ने बताया कि हमारे पास छात्रों के लिए एक लैंग्वेज लैब है। छात्रों को पहले अंग्रेजी में प्रशिक्षित किया जाता है। उसके बाद उनके लिए लेक्चर को समझना आसान होता है। हमारे पास वेलनेस सेंटर है। छात्रों को 4 साल तक मानसिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए सेंटर इंचार्ज विशेष सत्र लेते हैं।
पीजी और पीएचडी में दिखा ज्यादा ड्रॉपआउट
यूजी से ज्यादा ड्रॉपआउट पीजी और पीएचडी कोर्स में देखने को मिले हैं। इसलिए इस बार इससे निपटने के लिए गेट आधारित भर्ती प्रक्रिया को केंद्रीकृत करने के लिए कॉमन ऑफर एक्सेप्टेंस पोर्टल का गठन किया गया है। यह पोर्टल सार्वजनिक उपक्रमों, उम्मीदवारों और संस्थान को जोड़ेगा। आईआईटी में हर साल एमटेक की काफी सीटें खाली रह जाती हैं। आईआईटीज ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा अनियंत्रित प्रवेश प्रक्रिया को ड्रॉपआउट के पीछे प्रमुख कारण के रूप में दोषी ठहराया था।
ड्रॉपआउट पर एक नजर
सत्र | आईआईटी | अन्य |
2015-16 | 2.25% | 7.49% |
2016-17 | 1.60% | 8.56% |
2017-18 | 1.71% | 6.76% |
2018-19 | 1.46% | 5.36% |
2019-20 | 0.68% | 2.82% |
आईआईटी पटना का हाल
सत्र | बीटेक ड्रॉपआउट | एमएससी ड्रॉपआउट |
2014-15 | 3 | – |
2015-16 | 1 | – |
2016-17 | 0 | 1 |
2017-18 | 5 | 0 |
2018-19 | 1 | 1 |
2019-20 | 2 | 2 |