पिछले कुछ हफ्तों में माँडर डैरी ने अपने दूध, दही और पनीर की कीमतों में noticeable कटौती की है। सस्ता होने के साथ साथ, कई लोग पूछ रहे हैं – यह क्यों हुआ और हमारे रोज़मर्रा की लाइफ पर क्या असर पड़ेगा?
सबसे पहले, उत्पादन लागत में कमी आई है। देश में डेयरी खेती का विस्तार, बेहतर फ़ीड सप्लाई और लॉजिस्टिक्स में सुधार ने कंपनी को कम खर्च में अधिक मात्रा में दूध तैयार करने दिया। दूसरा, प्रतिस्पर्धा बढ़ी है। अमूल, गोखले जैसी ब्रांड्स लगातार प्राइस वार में लगी हैं, इसलिए माँडर डैरी ने खुद को टॉप पर रहने के लिए कीमतें घटाईं। तीसरा, मौसमी बदलाव – गर्मी में दूध की मांग बढ़ती है, इसलिए लेकर हंगाम में कीमत कम रखना फायदेमंद रहता है.
अब आप 1 लीटर टेटा मिल्क को लगभग ₹45 में पा सकते हैं, जबकि पहले यह ₹55 था। दही के 200 ग्राम पैक की कीमत 30 रुपये से घटकर 25 रुपये हो गई है। अगर आप रोज़ाना एक लीटर दूध लेना चाहते हैं, तो महीने में लगभग ₹600 बचा सकते हैं. यह बचत छोटे गृहस्थी के लिए काफी मायने रखती है.
प्राइस कट के चलते ब्रांड भरोसा भी बढ़ता है। जब लोग देखते हैं कि कीमत घट रही है और क्वालिटी वैसी ही बनी रहती है, तो वे दोबारा खरीदने को तैयार होते हैं. यह कंपनी के लिए भी लायल्टी बढ़ाता है, जिससे भविष्य में नई प्रोडक्ट लाइन लॉन्च करने में मदद मिलती है.
यदि आप माँडर डैरी के नियमित ग्राहक हैं, तो कुछ आसान टिप्स अपनाकर और भी बचत कर सकते हैं:
ध्यान रहे, प्राइस कट का मतलब क्वालिटी में कमी नहीं है. माँडर डैरी अभी भी अपने "हंधि" टेस्ट और फ्रेशनेस पर फोकस रखती है। अगर आपको डिमांड में कोई फर्क महसूस हो तो ग्राहक सेवा से तुरंत संपर्क करें.
आगे क्या होने वाला है? विशेषज्ञों का मानना है कि अगर अभी की ट्रेंड बना रहा तो अगले दो‑तीन महीनों में और भी प्राइस स्लैश देखे जा सकते हैं। लेकिन साथ ही, अगर दुग्ध उत्पादन में कोई अनियोजित समस्या आती है, तो कीमतें फिर से बढ़ सकती हैं. इसलिए बाजार की खबरें देखना फायदेमंद रहेगा.
सारांश में, माँडर डैरी का प्राइस कट उपभोक्ताओं के लिए एक राहत है और कंपनी के लिए मार्केट शेयर बढ़ाने का गेम प्लान है. सही खरीदारी की आदतें अपनाकर आप इस बदलाव से और भी ज्यादा लाभ उठा सकते हैं.
9 सितंबर 2025 को लागू हुए GST 2.0 सुधार के बाद अमूल और मदर डैरी ने 700 से अधिक उत्पादों की कीमतें घटा दी हैं। यूएचटी दूध, चपाती जैसी वस्तुएँ अब कर‑मुक्त, जबकि घी, पनीर को 5% कर दर पर ले जाया गया। कीमत घटाव से किसानों के हाथों में आय बढ़ेगी और ग्राहकों को सस्ता दूध मिलेगा।