जब हम बच्चों को दोधारी दही के साथ चाय पीते देखना चाहते हैं, तो हमें नहीं पता कि ये साधारण पेय हमारे शरीर में क्या कर रहा है। भारत में दूध सिर्फ एक पीने का पदार्थ नहीं, यह पोषण, रोजगार और सांस्कृतिक पहचान का स्रोत है। तो चलिए, इस सफ़र पर साथ चलते हैं और समझते हैं कि दूध ने भारत को कैसे बदल दिया।
एक गिलास दूध में प्रोटीन, कैल्शियम, विटामिन D और बी‑12 जैसे महंगे पोषक तत्व होते हैं। ये हड्डियों को मजबूत बनाते हैं, मस्तिष्क विकास में मदद करते हैं और इम्यून सिस्टम को बूस्ट करते हैं। अगर आप रोज़ दो कप दूध पीते हैं, तो आप अपने शरीर को एक छोटा एंर्जी बूस्टर दे रहे होते हैं, बिना किसी जटिल सप्लीमेंट के।
बच्चों के लिये खासकर, दूध में मौजूद लैक्टोज़ धीरे‑धीरे एंजाइम लैक्टेज़ के साथ टूटता है, जिससे ऊर्जा मिलती है। किशोरावस्था में तेज़ी से बढ़ती हड्डियों को सपोर्ट करने के लिए यह जरूरी है। साथ ही, दही या पनीर जैसे डेयरी प्रोडक्ट भी इस पोषण को बांटते हैं, जिससे रोज़मर्रा की डाइट में विविधता बनी रहती है।
संपूर्ण भारत में लगभग 13 % ग्रामीण परिवार अपना आजीविका दूध उत्पादन से जुटाते हैं। बछड़ा, गाय और बैल के लिए छोटे‑छोटे फार्म पूरे गाँव में फैले हुए हैं। यह बड़ी संख्या में रोज़ लाखों लीटर दूध बाजार में आती है। लेकिन इस बड़े पैमाने पर कुछ समस्याएँ भी छिपी हैं।
पहले, कारगर संरक्षक तकनीक की कमी है। कई बार दूध दुर्गंध या बॅक्टेरिया कारण तेज़ी से खराब हो जाता है, जिससे किसान को नुकसान होता है। दूसरा, ठंडा स्टोरेज और कूल चेन लॉजिस्टिक्स का अभाव है, खासकर दूर‑दराज़ क्षेत्रों में। अंत में, मूल्य निर्धारण में असंतुलन रहता है, जिससे छोटे किसान अक्सर बाजार की कीमतों के पीछे धकेले जाते हैं।
इन समस्याओं के हल के लिये सरकार और निजी उद्योग दोनों प्रयास कर रहे हैं। आधुनिक मिल्क चेन, मोबाइल मिल्किंग यूनिट और डिजिटल भुगतान प्लेटफ़ॉर्म धीरे‑धीरे इस अंतर को कम कर रहे हैं। यदि आप किसान हैं, तो इन नए तरीकों को अपनाने से आपका मुनाफा बढ़ सकता है।
एक और दिलचस्प बात यह है कि भारत में कई ताजगी वाले दूध सेवन वाले लोग शाकाहारी विकल्पों की ओर रुचि बढ़ा रहे हैं। सोया, बादाम और ओट मिल्क के सफ़र ने भी बाजार को नया रूप दिया है। यह दिखाता है कि परंपरागत दूध के साथ-साथ नए विकल्प भी लोगों की पसंद बन रहे हैं।
तो, अगर आप अपने परिवार के लिए बेहतर पोषण चाहते हैं, तो स्थानीय डेयरी से ताज़ा दूध खरीदना एक अच्छा विकल्प है। इससे न सिर्फ आपके खाने में ताजगी आती है, बल्कि स्थानीय किसान की मदद भी होती है। थोड़ी सोच‑विचार से आप अपना और दूसरों का स्वास्थ्य दोनों सुधार सकते हैं।
समझ लिया न, दूध भारत किस तरह से हमारे जीवन में एक बुनियादी आधार बन गया है? चाहे पोषण की बात हो या आर्थिक, दूध का हर घूँट हमें जोड़ता है। अगली बार जब आप गिलास उठाएँ, तो इस छोटे‑से योगदान को याद रखें।
9 सितंबर 2025 को लागू हुए GST 2.0 सुधार के बाद अमूल और मदर डैरी ने 700 से अधिक उत्पादों की कीमतें घटा दी हैं। यूएचटी दूध, चपाती जैसी वस्तुएँ अब कर‑मुक्त, जबकि घी, पनीर को 5% कर दर पर ले जाया गया। कीमत घटाव से किसानों के हाथों में आय बढ़ेगी और ग्राहकों को सस्ता दूध मिलेगा।